मेरा गुनाह सिर्फ इतना है मेरी परछाई मेरे अधूरेपन को पूरा करती मेरे साथ-साथ चलती है कभी आगे कभी पीछे कभी अगल-बगल। और, वे मुझे अकेला पाकर खत्म कर देना चाहते हैं किसी सूखे दरख्त की तरह।
जनसंचार में पीएचडी के लिए ‘‘नक्सलवाद और समाचार मीडिया‘‘ विषय पर शोध कार्य। प्रतिष्ठित ‘‘ के0के0 बिड़ला फेलोशिप ’’ तथा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ‘‘ सीनियर फेलोशिप ’’ प्राप्त।
संगम की रेती पर चालीस दिन, पंडवानी गायिका तीजन बाई, सिर्फ समाचार, पत्रकारिता तब से अब तक, पत्रकारिता के युग निर्माता मदन मोहन मालवीय तथा नेल्सन मण्डेला नये युग के प्रणेता, वैज्ञानिकों से साक्षात्कार, नाभिकीय ऊर्जा और समाचार मीडिया, व्यंग्य संग्रह छपाक का सुख, गिफ्ट ऑफर में, मानवाधिकार, मीडिया और जन-सरोकार, कजरी लोक गायन, प्रयोजनमूलक हिन्दी और मीडिया लेखन एवं संचार शोध और मीडिया पुस्तकें प्रकाशित।
साहित्यिक पत्रिका ‘‘सेवा’’, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘‘बरगद’’ व उत्तर प्रदेश ललित कला अकादमी की पत्रिका ‘‘कला त्रैमासिक’’ के विशेष अंकों का संपादन।
भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ द्वारा बाबूराव विष्णु पराड़कर पुरस्कार एवं धर्मवीर भारती पुरस्कार, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा महात्मा गांधी हिन्दी लेखन पुरस्कार सहित कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
पचीस वर्षो से अधिक समय तक सक्रिय पत्रकारिता करने के बाद वर्तमान में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेण्टर ऑफ मीडिया स्टडीज में पाठ्यक्रम समन्वयक पद पर कार्यरत।
fanoosh banke jiski hifazat khuda kare ...
ReplyDeletevo shama kya bujhe jise roshan khuda kare..
kabhi hmare blog par aakar hmara margdarsghan keejiye..
ReplyDeleteallahabadkelantran.blogspot.com
apke gunah hi bahut jyada hai, kitne aap ginayenge?
ReplyDeleteजिस तरह आप लोगो का मार्गदर्शन और उनकी चिन्ता करते हैं उसी तरह आप की परछाईं भी आप के लिए चिन्तित रहती है.....
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