Tuesday, 19 May 2009

मेरी परछाई

मेरा गुनाह सिर्फ इतना है
मेरी परछाई
मेरे अधूरेपन को
पूरा करती
मेरे साथ-साथ चलती है
कभी आगे
कभी पीछे
कभी अगल-बगल।
और, वे मुझे
अकेला पाकर
खत्म कर देना चाहते हैं
किसी सूखे दरख्त की तरह।

Monday, 11 May 2009

बचा रहे पीने के पानी का हक

रोज की तरह
गांव के हर नुक्कड़ पर
फिर दिखी है लाइन
मिट्टी के तेल
या फिर राशन की नहीं
यह लाइन है
पीने के पानी की।
काश,
बची रही यह लाइन
राशनिंग करने वालों की
भूखी निगाहों से।
सच तो यह है कि
पानी के लिए
बढ़ती जा रही लाइन
छिनवा सकती है,
पीने के पानी को
पाने का हक।